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जौहर महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित ऑल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में शायरों ने पढ़े कलाम

 

संभल ::-  मदरसा मौलाना मोहम्मद अली जौहर संभल के तत्वाधान में ग्राम मऊ भूड़ स्थित 15 वें “जोहर महोत्सव” के चौथे दिन ऑल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मलेन का आयोजन हुआ जिसमें शायरों ने अपने कलाम पढ़कर वाहवाही लूटी। मुशायरे की शुरुआत हकीम अब्दुल मजीद ने नाते पाक पढ़कर की। ग़ज़ल के दौर का आरंभ करते हुए अराफात संभली ने कहा-
अपने पराए सब से रखेंगे मोहब्बतें,वादा यह करके आए हैं इक पाक घर से हम ।
ताहिर हुसैन ताहिर ने कहा,
कशमकश की ज़िंदगी से दूर जाना चाहता हूँ,मुद्दतों से रो रहा हूँ मुस्कुराना चाहता हूं।
हकीम बुरहान संभली ने कहा-चाबियां सौंप दी पड़ोसी को,अपने भाई पे ऐतबार नही।
शाह आलम रौनक ने कुछ इस तरह कहा-मुझे ज़माने से नफरत मिटा नही सकती,मेरा वजूद मोहब्बत से हार जाता है।
नौशाद हुसैन नौशाद संभली ने कहा-वादा शिकन हो वादा ए फरदा करोगे तुंम,मालूम है हमे तुन्हें आना तो है नही।हास्य व्यंग के प्रसिद्ध शायर नौशाद अनगड ने कहा,
हर बात लात मारके करती हो आजकल,लगने लगे हैं क्या तुम्हें अब जानवर से हम। शफीक बरकाती ने कहा- भटके हुए हैं किसलिए अपनी डगर से हम,आओ यह बात पूछें किसी दीदावर से हम। डॉ शाक़िर हुसैन इस्लाही ने कहा- शुक्रे खालिक कभी नहीं करते,ज़िंदगी यू भी काट लेते हैं,इक ज़रा सा उरूज पाने को,लोग तलुवे भी चाट लेते हैं। दानिश गदीरी सिरसरिवी ने कहा-भीगी जुल्फों से इसे पोंछ के गीला कर दे,आग सूरज ने मेरे जिस्म पे बरसाई है। शमशाद अलीनगरी ने कहा-जो बशर साहिबे किरदार नहीं हो सकता
बो किसी का भी बफादार नहीं हो सकता। मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे मशहूर उस्ताद शायर कामिल जनेटवी ने कहा- हमें इस मुल्क की मिट्टी से इतना प्यार है कामिल,हम इस पर जान दे देते हैं ग़द्दारी नहीं करते। संचालन शफीक उर रहमान शफीक बरकाती एवं दानिश गदीरी सिरसरिवी ने संयुक्त रूप से किया। मुशायरे में फरीद मुरादाबादी, कौसर सम्भली,छवि रस्तोगी,कार्यक्रम के अंत में मदरसा मोहम्मद अली जौहर के प्रबंधक फिरोज़ खान ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।

Crime24hours/संवाददाता सुलेन्द्र सिंह 

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